1857 की क्रांति Current Affairs

 1857  की क्रांति और Current Affairs

क्रांति मे शामिल 


य हिन्द दोस्तो कैसे है आप ? आज हम फिर लेके आए है कुछ नयी और कुछ खास जो सभी परीक्षा के लिए उपयोगी है । दोस्तो इस पोस्ट मे हमने 1857 की क्रांति की कुछ जानकारी आपको बताने की कोशिस की है आशा है आपको पसंद आएगी । साथियो जैसा की आप और हम सभी जानते है की हमारा देश पहले मुश्ल्मनों और बाद मे अंग्रेज़ो के गुलामी की बेड़ियो मे बुरी तरह से बांध दिया गया था हम पर बहुत से अत्याचार किए गए सारा देश त्राहि त्राहि करने लगा था , अंग्रेज़ हमारे देश मे लगभग 200 सालो तक हम पर शासन किया था तब जाके हमे 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ किन्तु इस आजादी मे हमारे बहुत से क्रांतिकारियों ने अपने प्राणो की आहुती देदी तब जाके हम आजाद हुये । आजादी की लड़ाई की शुरुआत सन मार्च 1857 में, 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के सिपाही "मंगल पांडे" ने अपने कमांडिंग अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। पांडे की सजा और इस घटना के कारण बंगाल सेना के सिपाहियों में नाराजगी फैल गई, जिसने 1857 के विद्रोह में योगदान दिया।  

 इसके बाद उत्तर प्रदेश के मेरठ से आजादी की पहली लड़ाई की शुरुआत हुई थी. इस दिन कुछ भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था. अंग्रेजों पर हमला कर इस दिन भारतीय सैनिकों ने मेरठ पर कब्जा किया था इस क्रांति का दूसरा नाम "सैनिक विद्रोह और भारतीय विद्रोह" भी था ।

इस क्रांति के प्रमुख कारण थे -

1- नई 'एनफ़िल्ड' राइफ़लों के कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था.

2- सिपाहियों को इन राइफ़लों को लोड करने से पहले कारतूस को मुंह से खोलना पड़ता था.

  • हिंदू और मुस्लिम दोनों सिपाहियों ने उनका इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया.
1857 की क्रांति धीरे-धीरे कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली, अवध आदि स्थानों पर फैल गई. यह क्रांति 8 जुलाई, 1859 तक चली. 
"मंगल पांडे" के साथ एक और थे जिसमें अहम भूमिका "अमर शहीद कोतवाल धन सिंह गुर्जर"  ने अदा की थी। 10 मई को धन सिंह कोतवाल के आदेश पर ही हजारों की संख्या में भारतीय क्रांतिकारी रातों- रात मेरठ पहुंचे थे। इस विद्रोह ने धीरे धीरे पूरे भारतवर्ष  मे आग की तरह फैल गयी - इस विद्रोह मे "मंगल पांडे" के अलावा "तात्या टोपे" और "महारानी लक्ष्मीबाई"ने भी सहयोग किया 
1857 क्रांति मे शामिल क्रांतिकारी 

विद्रोह के स्थान

भारतीय नेता

ब्रिटिश अधिकारी जिन्होंने विद्रोह को दबा दिया

दिल्ली

बहादुर शाह द्वितीय

जॉन निकोलसन

लखनऊ

बेगम हजरत महल

हेनरी लारेंस

कानपुर

नाना साहेब

सर कोलिन कैंपबेल

झाँसी और ग्वालियर

लक्ष्मी बाई और तात्या टोपे

जनरल ह्यूग रोज

बरेली

खान बहादुर खान

सर कोलिन कैंपबेल

इलाहाबाद और बनारस

मौलवी लियाकत अली

कर्नल ऑनसेल

बिहार

कुँवर सिंह

विलियम टेलर

इस pdf की माध्यम से हम आपको कुछ जानकारी उपलव्ध करबाई है :-

दोस्तो इस पीडीएफ़ मे हमने 1857 की क्रांति के साथ साथ कुछ current affairs भी डाले है जो आपको परीक्षा के लिए उपयोगी साबित हो सकता है । 

!! धन्यवाद  !!





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